अंगदान की भावना को बढ़ाने और ज़िंदगी बचाने के क्रम में हमें मिलकर साथ आना होगा। अंगदान केवल गरीब लोगों की मदद के लिए ही नहीं है, बल्कि इसकी जरुरत हर तबके के लोगों को पड़ती है। जहाँ एक ओर कई मरीज़ अंगदान की प्रतिक्षा में अपनी जान गँवा देते हैं वहीं दूसरी ओर आजकल इंदौर में मस्तिष्क मृत्यु से ग्रस्त काफ़ी लोग देखे जा रहे हैं। ऐसी अवस्था में शारीरिक सुधार की तो कोई संभावना नहीं रहती परंतु शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करते रहते है और इन्हें किसी अन्य व्यक्ति को जीवन के रूप में उपहार स्वरूप दे सकते हैं। परपीड़ा हर संस्था ने कई लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित किया है और जनसहयोग से कई लोगों तक यह सुविधा पहुंचाई भी गयी है।